हरियाणा बीजेपी की दिल्ली में हुई बैठक, किसान आंदोलन और पंचायत चुनाव की बनी रणनीति

नई दिल्ली | हरियाणा की राजनीति में पिछले एक महीने से सरगर्मी बनी हुई है. राज्य में बीते लंबे समय से किसान आंदोलन, कोरोना महामारी, मंत्रिमंडल विस्तार और अन्य कई मुद्दों पर बीजेपी संघर्ष करती नजर आई है. इन्हीं कुछ मुद्दों पर मंथन करने के लिए हरियाणा बीजेपी की दिल्ली में एक महत्वपूर्ण बैठक हुई.

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21 जुलाई बुधवार को नई दिल्ली स्थित हरियाणा भवन में हरियाणा भाजपा कोर ग्रुप की बैठक का आयोजन हुआ. बैठक की अध्यक्षता हरियाणा भाजपा अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ ने की वहीं मुख्यमंत्री चंडीगढ़ में वर्चुअल माध्यम से बैठक में शामिल हुए और संबोधित भी किया.

बैठक में मुख्यतौर पर किसान आंदोलन, आगामी पंचायती चुनाव, प्रदेश के राजनैतिक हालत, सरकार की योजनाओं, संगठनात्मक विषय तथा कोरोना से जुड़े मुद्दों पर चर्चा हुई. बैठक में केंद्रीय राज्यमंत्री कृष्णपाल गुर्जर, राज्य के गृह मंत्री अनिल विज, शिक्षा मंत्री कंवरपाल गुर्जर, पूर्व प्रदेशाध्यक्ष रामबिलास शर्मा, सुभाष बराला, पूर्व राष्ट्रीय सचिव सुधा यादव भी शामिल हुए.

बैठक के बाद ओमप्रकाश धनखड़ ने मीडिया को बताया कि प्रदेश के मौजूदा राजनीतिक हालात,सरकार की योजनाएं, संगठनात्मक विषय, मौजूदा घटनाक्रम जैसे कोरोना समेत तमाम विषयों पर चर्चा कर आगे की योजना बनाई गई. उन्होंने जानकारी देते हुए कहा कि राष्ट्रीय महामंत्री डी पुरुन्देश्वरी इन दिनों हरियाणा के प्रवास पर हैं. कोर ग्रुप के नेताओं से चर्चा के बाद वह आज गुरुग्राम में पार्टी के प्रदेश पदाधिकारियों से फीडबैक लेंगी.

इसके बाद जिला, ब्लाक व बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं से भी संवाद करेंगी. कोविड-19 की संभावित तीसरी लहर के ऊपर भी बैठक में चर्चा हुई. जिसमें बताया गया कि प्रदेश सरकार द्वारा संभावित लहर से निपटने के लिए 16000 कार्यकर्ताओं को ट्रेंड किया गया है. वही मंत्रिमंडल विस्तार के प्रश्न पर ओम प्रकाश धनकर ने कहा कि इसका अधिकार मुख्यमंत्री को है.

पंचायती चुनाव पर बनी रणनीति

हरियाणा भाजपा को ग्रुप की बैठक में आगामी पंचायती चुनाव पर भी मंथन किया गया. ओमप्रकाश धनखड़ ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि पंचायत चुनाव, नगर परिषद, नगर निकाय चुनाव को लेकर भी तैयारियां भारतीय जनता पार्टी लगातार कर रही है. जिसके लिए प्रबंधन समिति भी बनाई गई है. बता दे इसी साल हरियाणा में पंचायती चुनाव होने हैं.

किसान आंदोलन अब किसानों का नहीं रहा

ओमप्रकाश धनखड़ ने कहा कि तीन कृषि सुधार कानूनों को लेकर विपक्ष ने पहले जो भ्रम किसानों के बीच फैलाया था, वह अब दूर हो गया है. अब आंदोलन के किसी भी मंच पर जमीनों को छीनने और मंडियां बंद होने की बात नहीं कही जाती है. अब आंदोलन में किसानों के बजाय कांग्रेस और वामदल ही सक्रिय हैं.

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