संयुक्त किसान मोर्चा ने दोबारा किसान आंदोलन शुरू करने का लिया फैसला, जानिए क्या है रणनीति

नई दिल्ली । ताजा जानकारी के मुताबिक किसानों ने फिर से दिल्ली घेरने की तैयारी कर ली है.सोमवार को दिल्ली में हुई संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) की बैठक में किसान आंदोलन को फिर से शुरू करने का फैसला लिया गया. किसान नेता डॉ. दर्शनपाल ने बताया कि 21 मार्च को देशभर में विरोध प्रदर्शन होगा. इसके बाद 25 मार्च को चंडीगढ़ से ट्रैक्टर मार्च निकाला जाएगा.बता दें कि एमएसपी को लेकर किसान एक सप्ताह तक विरोध प्रदर्शन करेंगे.

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चलेगा राष्ट्रव्यापी अभियान

संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े सभी संगठनों की बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि अगले माह 11 से 17 अप्रैल तक एमएसपी का कानूनी गारंटी सप्ताह मनाकर राष्ट्रव्यापी अभियान चलाया जाएगा. इस सप्ताह के दौरान, संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े संगठन स्वामीनाथन आयोग द्वारा सभी किसानों को उनकी कृषि उपज पर निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य (C2+50%) की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर धरना, प्रदर्शन, सेमिनार आयोजित करेंगे.

एक दर्जन किसान संगठन संघर्ष से दूर

मोर्चे से जुड़े नेताओं का कहना है कि इसमें फिर से कौन सा आंदोलन शुरू किया जाए, इस पर चर्चा करने के बाद फैसला लिया जा सकता है.हालांकि पंजाब और यूपी में विधानसभा चुनाव के बाद एसकेएम से जुड़े करीब एक दर्जन किसान संगठन अब संघर्ष से दूर होते नजर आ रहे हैं, वहीं बीकेयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा है कि वे एसकेएम के साथ हैं.अब सबकी निगाहें दिल्ली की बैठक पर हैं.

क्यों शुरू हो रहा प्रदर्शन

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मोर्चा ने 9 दिसंबर को संयुक्त किसान मोर्चा को भारत सरकार द्वारा दिए गए लिखित आश्वासनों की समीक्षा की और पाया कि तीन महीने बीत जाने के बाद भी, सरकार ने अपने प्रमुख आश्वासनों पर कार्रवाई नहीं की.एमएसपी पर कमेटी बनाने के आश्वासन का नाम तक नहीं है. हरियाणा को छोड़कर अन्य राज्यों में किसानों के खिलाफ आंदोलन के दौरान दर्ज मामले वापस नहीं लिए गए हैं. दिल्ली पुलिस ने कुछ मामलों को आंशिक रूप से वापस लेने की बात कही है. लेकिन इसके बारे में भी कोई पुख्ता जानकारी नहीं है. देशभर में रेल रोको के मामलों को लेकर कुछ नहीं हुआ है.

देशभर के किसान बढ़-चढ़कर हिस्सा लेंगे

संयुक्त किसान मोर्चा ने लखीमपुर खीरी कांड पर सरकार की भूमिका और किसान आंदोलन को दिए गए आश्वासनों की अवज्ञा के मुद्दे पर 21 मार्च को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन आयोजित करने का निर्णय लिया है. यूनाइटेड किसान मोर्चा ने 28 और 29 मार्च को ट्रेड यूनियन के भारत बंद के आह्वान का समर्थन किया.मोर्चा नेताओं ने कहा कि इसमें देशभर के किसान बढ़-चढ़कर हिस्सा लेंगे.

11 संगठन पीछे हटे

एसकेएम में भी बंटवारा है. पंजाब विधानसभा चुनाव के बाद मुल्लांपुर दाखा में 11 संगठनों ने किसान संगठनों की बैठक में हिस्सा नहीं लिया. बैठक में पहुंचने के लिए सभी 32 संगठनों को संदेश भेजा गया था. इनमें से 18 संगठनों के नेता बैठक में मौजूद थे.तीनों संगठनों ने फोन पर अपनी सहमति दी. तीन से चार घंटे तक चली बैठक में जबरदस्त हंगामा हुआ और किसान नेता कई मुद्दों पर जुबानी जंग करते रहे.

टिकैत फिर टिकेंगे

उधर, बीकेयू नेता राकेश टिकैत ने रविवार को कहा कि जो भी पार्टी सत्ता में है, हमारी मांगें पूरी होने तक हमारा आंदोलन जारी रहेगा. उन्होंने कहा वे यूपी चुनाव के बारे में बात नहीं करना चाहते. सब कुछ खत्म हो गया है, लेकिन 100% आंदोलन जारी रहेगा. मैं एसकेएम के साथ हूं. हालांकि, एसकेएम के सामने अब एक कठिन चुनौती है. संगठन के निर्णय लेने वाले पैनल के एक सदस्य ने कहा कि किसानों के लक्ष्य केवल एक चुनाव के बारे में नहीं थे, हालांकि किसान मोर्चा ने उत्तर प्रदेश में भाजपा को हराने के लिए व्यापक रूप से प्रचार किया. देखना यह होगा कि किसानों के आगे की रणनीति क्या होती है. क्या फिर से किसानों का वैसा ही आंदोलन देखने को मिलेगा, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा.

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