चंडीगढ़ से सटे इन 5 गांवों में नहीं बनती दूसरी मंजिल, 550 साल पुराने माता के मंदिर से जुड़ा है इतिहास

चंडीगढ़ | अपनी विचित्रता के चलते देशभर के बहुत से धार्मिक एवं पर्यटन स्थल अपना विशेष महत्व रखते हैं. इसी कड़ी में चंडीगढ़ से महज 10 Km की दूरी पर स्थित जयंती माता के मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है. बुजुर्गों का कहना है कि इस मंदिर का इतिहास लोदी वंश से भी करीब 550 साल पुराना है. इन बुजुर्गों ने बताया कि माता इलाके के 5 गांवों की हरसंभव मदद करती है और ग्रामीणों को तमाम मुश्किलों से बचाती है. इन पांचों गांवों में कोई सरकारी आदेश नहीं है फिर भी माता की श्रद्धा की वजह से गांवों में कोई भी पहली मंजिल से ऊपर मकान नहीं बनाता है.

Chandigarh Jyanti Majri Temple

मोहाली के गांव जयंती माजरा (Jayanti Majra) में माता का यह प्राचीन एवं विशाल मंदिर स्थित है. इस मंदिर को लेकर ग्रामीणों की अलग- अलग मान्यताएं हैं. इस मंदिर में दोनों नवरात्रों के मौके पर विशाल मेले का आयोजन होता है, जहां पर लोग दूरदराज इलाकों से आकर माता जयंती के मंदिर में माथा टेकने आते हैं.

5 माजरिओं के नाम से जाने जाने वाले 5 गांव जयंती माजरी, गुडा, कसौली, भगिंडी, करोदेवाल में आज भी पहली मंजिल से ऊपर कोई मकान नहीं बनाया जाता है. इसके पीछे मान्यता है कि जब माता का मंदिर बना था, तो उससे ऊपर किसी भी मकान की छत नहीं होनी चाहिए थी और सदियों बाद यह परंपरा आज भी इन गांवों में चली आ रही है.

राजा की बेटी के साथ जुड़ा है इतिहास

ग्रामीणों की माने तो इस मंदिर का इतिहास राजा की बेटी के साथ जुड़ा हुआ है. उस समय इस इलाके में छात्रों हथनौर नाम के राजा का शासन था, जिसके 22 भाई थे. राजा के एक भाई की शादी कांगड़ा के राजा की बेटी के साथ हुई थी. कांगड़ा के राजा की बेटी बचपन से ही जयंती देवी की पूजा करती थी. शादी के बाद उसको जयंती माता से दूर होने का खतरा सता रहा था.

माना जाता है कि माता ने राजा की बेटी को सपने में कहा था कि वह उसके साथ चलेगी. जब हथनौर के राजा की शादी उक्त राजकुमारी से हुई और उसकी डोली चलने लगी तो अचानक से डोली भारी हो गई. इसका कारण राजकुमारी ने अपने पिता को बताया. तब माता जयंती देवी की मूर्ति वहां से राजकुमारी की डोली के साथ गांव जयंती माजरी लाई गई थी.

राजकुमारी की मौत के बाद गरीबदास ने की पूजा

उस समय से ही वह राजकुमारी माता जयंती देवी का मंदिर बना कर इसकी पूजा करती थी. करीब 200 सालों तक उस परिवार की तरफ से इस मंदिर की पूजा गई, लेकिन उसी समय गरीबदास नाम का एक मुल्लापुर का राजा था. उसने हथनौर राज्य पर आक्रमण कर अपना क्षेत्र बढ़ाया. वह भी माता जयंती देवी का बहुत बड़ा भक्त था. उसने माता जयंती देवी के मंदिर का जीर्णोद्धार करा कर उसकी पूजा- अर्चना शुरू कर दी थी.

कांगड़ा घाटी की 7 देवियों में से एक है जयंती देवी

जयंती देवी निवासी सोमनाथ ने बताया कि कांगड़ा घाटी 7 देवियों की मान्यता है. उनमें से जयंती देवी भी एक रूप है. इनमें नैना देवी, ज्वालामुखी, चिंतपूर्णी, माता मनसा देवी, ब्रजेश्वरी, चामुंडा देवी और जयंती देवी है. माता के मंदिर परिसर में एक प्राचीन कुआं है जो कि इलाके के लोगों को हमेशा मीठा पानी उपलब्ध कराता है.

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