हरियाणा में स्टिल्ट प्लस चार मंजिला निर्माण की समिति ने की सिफारिश, जानिए प्लाट मालिकों के सामने क्या रखी शर्तें?

चंडीगढ़ | हरियाणा सरकार के दिशा- निर्देश पर गठित कमेटी ने कई शर्तों के साथ नए सेक्टरों में स्टिल्ट प्लस चार मंजिला निर्माण की सिफारिश की है. समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि स्टिल्ट प्लस चार मंजिला निर्माण की उन सेक्टरों में अनुमति दी जानी चाहिए, जहां बुनियादी ढांचा प्रति प्लॉट 18 व्यक्तियों के घनत्व को पूरा करता है. आगे रिपोर्ट की सिफारिश में यह भी कहा गया है कि ऐसी मंजिलों को केवल पारिवारिक आवास तक ही सीमित रखा जाना चाहिए.

House Ghar Flat

छात्रावासों व अस्पतालों के लिए नहीं है ऐसी बिल्डिंग की अनुमति

रिपोर्ट में बताया गया है कि छात्रावासों और अस्पतालों के लिए इसकी अनुमति नहीं दी जानी चाहिए. गोपनीयता और धूप सुनिश्चित करने के लिए चार मंजिलों की ऊंचाई 16.5 मीटर से घटाकर 15 मीटर करने का भी सुझाव दिया गया है. रिपोर्ट की सिफारिशों के बाद कुछ आरडब्ल्यूए (RWA) विरोध में उतर आए हैं. उनका कहना है कि उनकी आपत्तियों पर ध्यान नहीं दिया गया.

पंचकुला निवासी पूर्व सेना प्रमुख वीपी मलिक भी कमेटी की सिफारिशों से संतुष्ट नहीं दिखे. वे भी इसका विरोध करने की तैयारी में जुटे हैं. फिलहाल, इस कमेटी की रिपोर्ट पर सरकार की ओर से कोई बयान नहीं आया है. अब सरकार को इन सिफारिशों पर फैसला लेना है.

बिल्डिंग का पड़ोसी की दीवार पर नहीं होना चाहिए भार

इस समिति ने मौजूदा सेक्टरों में स्टिल्ट प्लस चार मंजिला निर्माण के लिए भी अपनी सिफारिशें दे दी हैं. समिति की सिफारिश है कि जिन सेक्टरों में सड़कें 12 मीटर चौड़ी हैं और इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाने की गुंजाइश है, वहां इसके निर्माण की इजाजत दी जा सकती है. जिन सेक्टरों में स्टिल्ट प्लस चार मंजिलों का निर्माण रोक दिया गया है उनके लिए समिति ने जल निकासी, जल आपूर्ति और अन्य बुनियादी ढांचे की क्षमता के ऑडिट का सुझाव दिया है.

ऑडिट रिपोर्ट सत्यापित होने के बाद मौजूदा क्षेत्रों में ऐसी मंजूरी देने के लिए उपायुक्तों को अधिकृत किया गया है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि स्टिल प्लस 4 मंजिला एक स्वतंत्र इमारत होनी चाहिए. इसका पड़ोसी की दीवार पर भार नहीं होना चाहिए.

नुकसान पर प्लाट मालिक से होनी चाहिए वसूली

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर स्टिल्ट प्लस चार मंजिला निर्माण से आसपास के घरों को नुकसान होता है तो इसके लिए जिम्मेदार प्लॉट मालिकों से इसकी वसूली की जानी चाहिए. यह राशि पीड़ित प्लॉट मालिकों को दी जानी चाहिए. हरियाणा सरकार के निर्देश पर पूर्व IAS राघवेंद्र राव के नेतृत्व में विशेषज्ञों की एक कमेटी गठित की गई थी.

समिति ने चार महीनों में राज्य भर के सैकड़ों लोगों से बातचीत की. इसके अलावा, कई एसोसिएशन की राय को भी इसमें शामिल किया गया है. इस संबंध में समिति ने पंचकुला, गुड़गांव, फरीदाबाद और हिसार में जाकर लोगों के साथ बैठकें की.

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