कृषि कानूनों को डेढ़ साल तक रोकने के लिए केंद्र तैयार, किसान यूनियनों ने कहा अभी ऑफर पर विचार करेंगे हम

नई दिल्ली | हाल ही में केंद्र सरकार की ओर से लागू किए गए नए तीनों कृषि कानूनों (Farm Laws) पर सरकार के समक्ष बीते काफी दिनों से आन्दोलन कर रहे किसानों के बीच अब गतिरोध खत्‍म होता नजर आ रहा है. ऐसा केवल इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि अब केंद्र सरकार की ओर से कहा गया है कि वह कृषि कानूनों को डेढ़ साल के लिए रोकने के मुद्दे पर सहमत है, परंतु इस पर फ़िलहाल किसान संगठनों ने अपनी बात रखते हुए कहा है कि वे इस प्रस्‍ताव पर विचार विमर्श कर रहे हैं. वे इस गंभीर मुद्दे पर विचार विमर्श करने के पश्चात ही अंतिम निर्णय लेंगे, जिससे एक बार फिर से उन्हें ऐसी मुश्किल घड़ी का सामना न करना पड़े.

KISAN METTING

सरकार ने समिति गठित करने का किया ऐलान, इस बीच कृषि कानून नहीं होगें लागू 

ऐस में ऑल इंडिया किसान सभा पंजाब के नेता बालकरण सिंह जी बरार ने संवाददााओं से बातचीत करते समय कहा है कि ‘ हाल ही में भारत सरकार की ओर से किसानो के साथ 10 वें दौर की बैठक (Talk Between Government and Farmers) आयोजित की गई थी और उसी में केंद्र की ओर से हमारे सामने यह एक नया प्रस्ताव रखा गया है, इस प्रस्ताव में साफ़ तौर पर कहा गया है कि वह एक विशेष समिति गठित करने के हित मे है , इस समिति में ख़ास तरीक़े से जांच की जाएगी यानी जो केन्द्र सरकार द्वारा नए कानून जारी किए हैं, उनके साथ- साथ हमारी सारी मांगों पर विचार इस समिति के द्वारा किया जा सकता है.

फिलहाल, किसान अपनी मांगो पर ही कायम..

सरकार की ओर से यह भी प्रस्ताव रखा गया है कि जब तक समिति अपने स्तर पर समीक्षा पूरा नहीं कर लेती है, तीनों नए कानूनों को लगभग डेढ़ साल तक स्थगित ही रखा जाएगा. ऐसे में हमने आज की बैठक में सरकार के इस प्रस्ताव को मंजूरी नहीं दी है. हालांकि, हम अब भी अपनी मांगो पर ही कायम है कि केंद्र सरकार की ओर से जबरदस्ती थोपे गए तीनों नए कानून रद्द किए जाएं.

सुप्रीम कोर्ट की समिति ने कहा, किसानों से विनती है कि बात करने के लिए आएं

कीर्ति किसान यूनियन के नेता राजेंद्र सिंह जी ने अपना पक्ष रखते हुए कहा है कि ‘सरकार की ओर से कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने कानून को सस्पेंड कर दिया है. ऐसे में हम उस सस्पेंशन को और आगे बढ़ाने के लिए तैयार हैं. वहीं, साथ ही साथ इस बारे में वह सुप्रीम कोर्ट में एफिडेविट देने के लिए भी तैयार हैं, किंतु किसानो ने अपनी आवाज़ बुलंद करते हुए कहा कि हमारे शुरू से यह मांग है कि केंद्र सरकार की ओर से किसानो पर जबरदस्ती थोपे गए नए तीनों कानून रद्द किए जाएं’.

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