हरियाणा दिवस पर जानें अनोखी पहचान की कहानी, खेल से लेकर कृषि हर जगह बजा है डंका

चंडीगढ़ | मैं हरियाणा हूं यानि हरि की भूमि. मेरी चर्चा तमाम महाकाव्यों में होती है. मैं गीता की जन्मभूमि हूं. मैंने महाभारत का युद्ध देखा. मैंने पानीपत की लड़ाईयां देखी है. यूं तो सदियों से मैं यहीं हूं, लेकिन आजाद भारत में औपचारिक रूप से मेरा जन्म 1 नवंबर 1966 को हुआ,जब मैं अपने बड़े भाई पंजाब से अलग होकर अस्तित्व में आया. आज हरियाणा का 56वां जन्मदिवस है और प्रदेशवासी इसे बड़ी धूमधाम से मनाते हैं.

haryana map

वैसे तो तब से लेकर आज तक हरियाणा कई बदलावों के दौर से गुजर चुका है लेकिन आज हरियाणा ने अपनी जो विशेष पहचान बनाई है उसका जिक्र दुनियाभर में किया जाता है. आज हरियाणा कई क्षेत्रों में अपनी खासियतों की बदौलत देश-दुनिया में अपने नाम का डंका बजा रहा है. कृषि प्रधान क्षेत्र होने की वजह से आज हरियाणा को देशभर में ग्रीन लैंड ऑफ इंडिया के नाम से पुकारा जाता है.

अलग राज्य के लिए बनी थी कमीशन

23 अप्रैल 1966 को पंजाब के विभाजन और उसमे से नए राज्य हरियाणा की नई सीमाओं को निर्धारित करने के लिए भारत सरकार ने शाह कमिशन की स्थापना की थी. 31 मई 1966 को कमीशन ने अपनी रिपोर्ट जारी की. उस रिपोर्ट में करनाल, गुडगांव, रोहतक, महेंद्रगढ़ और हिसार जिलों को नए राज्य हरियाणा का भाग बनाया गया था और साथ ही इसमें संगरूर ज़िले की जींद और नरवाना के अलावा पंजाब क्षेत्र के अंबाला, नारायणगढ़ और जगाधरी को भी शामिल किया गया था.

बनाई एक अनोखी पहचान

रहन-सहन, खानपान और अपनी ठेठ देशी बोली से हरियाणा की पहचान बाकी राज्यों से इसे अलग और खास बनाती है. 22 जिलों वाले इस राज्य को वीरों और खिलाड़ियों की धरती के नाम से पहचाना जाता है. अपना 56वां जन्मदिवस मना रहे हरियाणा से देश का हर दसवां सैनिक हरियाणवी है. औद्योगिक हब के रुप में हरियाणा के गुरुग्राम और फरीदाबाद पूरे देश में सबसे आगे हैं. यहां के किसानों की मेहनत का ही नतीजा था कि कोरोना काल के भयावह दौर में भी देश के राजस्व संभालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

खिलाड़ी सबसे लाजवाब

हरियाणा के खिलाड़ियों के नाम का डंका पूरी दुनिया में बजता है. मुक्केबाजी, कुश्ती, डिस्कस थ्रो, कबड्डी में हरियाणा के खिलाड़ियों का कोई मुकाबला नहीं है. कुश्ती में फोगाट बहनें, ओलम्पिक पदक विजेता सुशील कुमार, योगेश्वर दत्त, बजरंग पूनिया समेत कई अन्य खिलाड़ी हैं जिन्होंने हरियाणा के नाम की प्रसिद्धि दुनियाभर में करवाई है.

भाला फेंकने में हरियाणा के खिलाड़ी नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra) का कोई सानी नहीं है. ओलम्पिक में गोल्ड मेडल जीतकर नीरज चोपड़ा ने हरियाणा का नाम विश्व पटल पर मशहूर कर दिया है. दुनियाभर से लोग हरियाणा के खिलाड़ियों की प्रतिभा का लोहा मानते हैं. इतना ही अंतरिक्ष पर जाने वाली पहली भारतीय महिला कल्पना चावला (Kalpana Chawla) का जन्म भी हरियाणा में ही हुआ था.

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